Marriage and Divorce Rules in hindi

विवाह और तलाक नियम / Marriage and Divorce Rules in hindi

विवाह और तलाक, समाज के दो ऐसे पहलू हैं जो हर व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विवाह दो व्यक्तियों के बीच एक पवित्र बंधन है, जबकि तलाक इस बंधन का कानूनी समापन है। भारत में, विवाह और तलाक के नियम विभिन्न धर्मों और समुदायों के लिए अलग-अलग हैं, जो व्यक्तिगत कानूनों द्वारा शासित होते हैं।

विवाह नियम:

भारत में विवाह के नियम मुख्य रूप से व्यक्तिगत कानूनों द्वारा शासित होते हैं, जैसे कि हिंदू विवाह अधिनियम, 1955, मुस्लिम व्यक्तिगत कानून (शरीयत) आवेदन अधिनियम, 1937, और भारतीय ईसाई विवाह अधिनियम, 1872।

  • हिंदू विवाह अधिनियम, 1955:
    • यह अधिनियम हिंदुओं, बौद्धों, जैनियों और सिखों पर लागू होता है।
    • इस अधिनियम के तहत, विवाह को एक पवित्र संस्कार माना जाता है।
    • विवाह के लिए, दूल्हा और दुल्हन दोनों की सहमति आवश्यक है।
    • विवाह के लिए, दूल्हे की आयु 21 वर्ष और दुल्हन की आयु 18 वर्ष होनी चाहिए।
    • इस अधिनियम के तहत, एक पति या पत्नी के जीवित रहते हुए दूसरा विवाह करना अवैध है।
  • मुस्लिम व्यक्तिगत कानून (शरीयत) आवेदन अधिनियम, 1937:
    • यह अधिनियम मुसलमानों पर लागू होता है।
    • इस अधिनियम के तहत, विवाह को एक अनुबंध माना जाता है।
    • मुस्लिम कानून के तहत, एक पुरुष चार पत्नियों तक रख सकता है।
    • विवाह के लिए, दूल्हा और दुल्हन दोनों की सहमति आवश्यक है।
  • भारतीय ईसाई विवाह अधिनियम, 1872:
    • यह अधिनियम ईसाइयों पर लागू होता है।
    • इस अधिनियम के तहत, विवाह को एक पवित्र संस्कार माना जाता है।
    • विवाह के लिए, दूल्हा और दुल्हन दोनों की सहमति आवश्यक है।
    • विवाह के लिए, दूल्हे की आयु 21 वर्ष और दुल्हन की आयु 18 वर्ष होनी चाहिए।
    • इस अधिनियम के तहत, एक पति या पत्नी के जीवित रहते हुए दूसरा विवाह करना अवैध है।
  • विशेष विवाह अधिनियम, 1954:
    • यह अधिनियम उन लोगों के लिए है जो अलग-अलग धर्मों या जातियों से संबंधित हैं, या जो अपने व्यक्तिगत कानूनों के तहत विवाह नहीं करना चाहते हैं।
    • इस अधिनियम के तहत, विवाह को एक नागरिक अनुबंध माना जाता है।
    • विवाह के लिए, दूल्हा और दुल्हन दोनों की सहमति आवश्यक है।
    • विवाह के लिए, दूल्हे की आयु 21 वर्ष और दुल्हन की आयु 18 वर्ष होनी चाहिए।

तलाक नियम:

भारत में तलाक के नियम भी व्यक्तिगत कानूनों द्वारा शासित होते हैं।

  • हिंदू विवाह अधिनियम, 1955:
    • इस अधिनियम के तहत, तलाक के लिए कई आधार हैं, जैसे कि क्रूरता, व्यभिचार, परित्याग, और मानसिक विकार।
    • आपसी सहमति से भी तलाक लिया जा सकता है।
  • मुस्लिम व्यक्तिगत कानून (शरीयत) आवेदन अधिनियम, 1937:
    • मुस्लिम कानून के तहत, तलाक के कई रूप हैं, जैसे कि तलाक-ए-अहसन, तलाक-ए-हसन, और तलाक-ए-बिद्दत।
    • मुस्लिम महिलाये भी खुलह के माध्यम से तलाक ले सकती है।
  • भारतीय ईसाई विवाह अधिनियम, 1872:
    • इस अधिनियम के तहत, तलाक के लिए कुछ आधार हैं, जैसे कि व्यभिचार और धर्मांतरण।
    • तलाक की प्रक्रिया अदालती होती है।
  • विशेष विवाह अधिनियम, 1954:
    • इस अधिनियम के तहत, तलाक के लिए कई आधार हैं, जैसे कि क्रूरता, व्यभिचार, और परित्याग।
    • आपसी सहमती से भी तलाक लिया जा सकता है।

अतिरिक्त जानकारी:

  • विवाह और तलाक के नियम जटिल हो सकते हैं, और कानूनी सलाह लेना उचित है।
  • तलाक के मामलों में, संपत्ति का विभाजन और बच्चों की हिरासत जैसे मुद्दे भी शामिल हो सकते हैं।
  • भारत में, तलाक की प्रक्रिया लंबी और महंगी हो सकती है।

विवाह और तलाक के नियमों का ज्ञान व्यक्तियों को उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों को समझने में मदद कर सकता है।

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