अन्तर्वासना का दर्पण (Antarvasna Ka Darpan)
अन्तर्वासना का दर्पण
(Antarvasna Ka Darpan)
शहर के कोने में स्थित एक पुरानी हवेली, जिसे लोग रहस्यमयी मानते थे, अब खाली पड़ी थी। उस हवेली में रहने के लिए एक नई किरायेदार आई थी। उसका नाम था मिष्टी, जो एक लेखक थी और अपने उपन्यास के लिए शांति और प्रेरणा की तलाश में थी।
हवेली की दीवारें भले ही पुरानी थीं, लेकिन उसकी खिड़कियों से झांकती रोशनी और हवा एक अनकहा इतिहास बयान कर रही थीं। मिष्टी को इस जगह में अजीब सा आकर्षण महसूस हुआ।
हवेली का रहस्य
हवेली में एक बड़ा सा दर्पण था, जो मुख्य कमरे की दीवार पर टंगा हुआ था। दर्पण देखने में साधारण था, लेकिन मिष्टी को उसमें अजीब सी ऊर्जा महसूस होती थी। जब भी वह उसके सामने खड़ी होती, तो उसे अपने भीतर छुपी इच्छाएं और भावनाएं साफ-साफ दिखाई देतीं।
मिष्टी ने खुद को हमेशा एक व्यावहारिक और संवेदनशील इंसान माना था। लेकिन इस दर्पण के सामने, वह खुद को एक अलग रूप में देखती। ऐसा लगता था, जैसे दर्पण उसकी अन्तर्वासना को बाहर लाने की कोशिश कर रहा हो।
दर्पण का प्रभाव
एक दिन, मिष्टी दर्पण के सामने खड़ी होकर अपना उपन्यास लिखने की कोशिश कर रही थी। तभी उसने महसूस किया कि दर्पण में उसका प्रतिबिंब मुस्कुरा रहा था, जबकि वह खुद गंभीर थी। यह देखकर वह घबरा गई।
उसने महसूस किया कि दर्पण उसे उन पहलुओं से रूबरू करा रहा था जिन्हें उसने कभी स्वीकार नहीं किया था। उसकी दबी इच्छाएं, अधूरी भावनाएं, और अनकही कहानियां, सबकुछ जैसे उस दर्पण में जीवित हो गई थीं।
एक अजनबी का आना
हवेली के आसपास अक्सर एक युवक घूमता दिखाई देता था। उसका नाम था अयान, जो एक फोटोग्राफर था। अयान मिष्टी से मिलता है और उसकी लेखनी और उसकी दुनिया के प्रति आकर्षित हो जाता है।
अयान और मिष्टी के बीच बातचीत का सिलसिला शुरू होता है। अयान, मिष्टी की कल्पना और विचारों को समझने की कोशिश करता है। लेकिन मिष्टी को दर्पण की रहस्यमयता और अपनी अंतर्वासना के चलते एक अलग ही उलझन महसूस होती है।
अन्तर्वासना और सच का सामना
एक रात, मिष्टी दर्पण के सामने खड़ी थी। उसने अपने भीतर की सारी इच्छाओं और तड़प को महसूस किया। वह जानती थी कि उसकी इच्छाएं सिर्फ दबी भावनाओं का परिणाम थीं।
अयान के साथ बिताए हुए पलों ने मिष्टी को एहसास कराया कि उसका असली दर्पण खुद उसका दिल है। उसने दर्पण के पास जाकर कहा, "तुमने मुझे मेरे भीतर का सच दिखाया, लेकिन अब मुझे खुद को संभालना होगा।"
नया जीवन, नई शुरुआत
मिष्टी ने उस दर्पण को हटा दिया और अयान के साथ अपनी नई किताब पर काम करना शुरू कर दिया। उसने महसूस किया कि इच्छाएं तभी खूबसूरत होती हैं जब उन्हें सही दिशा दी जाए।
कहानी का सार
"अन्तर्वासना का दर्पण" हमें यह सिखाता है कि हमारी गहरी इच्छाएं हमें डराने के लिए नहीं, बल्कि हमें खुद को बेहतर ढंग से समझने का मौका देने के लिए होती हैं।
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